“तीन तलाक” (Triple Talaq)

देश के किस उच्च न्यायालय ने 8 दिसम्बर 2016 को “तीन तलाक” (Triple Talaq) की प्रथा को मुस्लिम महिलाओं के साथ क्रूरता की संज्ञा देते हुए इसे भारतीय संविधान की भावनाओं के खिलाफ बताया? – इलाहाबाद उच्च न्यायालय
विस्तार: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल पीठ ने 8 दिसम्बर 2016 को मुस्लिम समाज में व्याप्त “तीन बार तलाक” कहकर महिलाओं को तलाक देने की प्रवृत्ति को भारतीय संविधान में प्रदत्त अधिकारों के खिलाफ बताया तथा कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता है। उसने यह भी कहा कि तलाक देने की यह प्रथा कुरान तथा पैगम्बर साहब की शिक्षा के भी खिलाफ है।
 उच्च न्यायालय ने यह तल्ख टिप्पणी बुलंदशहर की हिना एवं उमर बी की अलग-अलग याचिकाओं पर की। 23 वर्षीया हिना ने अपने से दोगुने से अधिक आयु वाले 53 वर्षीय पुरुष से निकाह कर लिया। लेकिन इस निकाह को करने के लिए इस पुरुष ने दो बच्चों की मां अपनी पहली पत्नी को ट्रिपल तलाक की प्रथा के तहत तलाक दे दिया था। जब परिवार वालों ने नई शादी पर ऐतराज किया तो नवदंपती सुरक्षा की गुहार लगाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण में आ गया।
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