FLY ASH

विद्युत संयंत्रों द्वारा छोड़ी जाने वाली फ्लाई-ऐश (Fly-Ash) के निस्तारण के लिए नीति बनाने वाला देश का पहला राज्य कौन सा बन गया है जिसने 15 नवम्बर 2016 को यह घोषणा कर दी कि विद्युत संयंत्र की 300 किमी. परिधि में आने वाले समस्त सरकारी मूलभूत ढांचागत परियोजनाओं व निर्माणों में फ्लाई-ऐश का प्रयोग करना अनिवार्य होगा? – महाराष्ट्र (Maharashtra)
विस्तार: महाराष्ट्र (Maharashtra) की कैबिनेट ने 15 नवम्बर 2016 को फ्लाई-ऐश (Fly-Ash) सम्बन्धी नीति की घोषणा करते हुए यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया कि सरकारी क्षेत्र में होने वाले निर्माणों तथा मूलभूत संरचना परियोजनाओं में फ्लाई-ऐश का प्रयोग किया जाना अनिवार्य होगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बन गया जो फ्लाई-ऐश के निस्तारण व उपयोग के लिए इस प्रकार की नीति (Fly-Ash Policy) लेकर आया है।
 महाराष्ट्र सरकार ने यह नियम भी बना दिया की विद्युत संयंत्र की 300 किमी. की परिधि (300 km radius) में आने वाले सभी सरकारी निर्माणों में फ्लाई-ऐश का अनिवार्य प्रयोग होगा। इसके चलते पूरा राज्य इस नियम के तहत आ जायेगा। राज्य में अभी तक यह सीमांकन विद्युत सयंत्र की 100 किमी. की परिधि का था।
 इस नीति को तैयार कर महाराष्ट्र राज्य सरकार फ्लाई-ऐश के संपूर्ण निस्तारण को सुनिश्चित कर फ्लाई-ऐश के दुष्प्रभावों को कम करना चाहती है।
 उल्लेखनीय है कि फ्लाई-ऐश (Fly-Ash) राख के उन छोटे-छोटे कणों को कहा जाता है जो तापीय विद्युत संयंत्र (thermal power plant) में विद्युत उत्पादन के लिए कोयले (coal) को जलाने के कारण उत्पन्न होते हैं। यह कण स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए नुकसानदेह होते हैं। लेकिन फ्लाई-ऐश का उपयोग निर्माण उद्योग के लिए ईंटें तथा कंक्रीट बनाने में किया जा सकता है।

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