Market Stabilization Scheme – MSS

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों के पास तरलता (liquidity) में हुई वृद्धि के चलते बाजार स्थिरीकरण योजना (Market Stabilization Scheme – MSS) के तहत जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों (securities) की ऊपरी सीमा को 2 दिसम्बर 2016 को बढ़ाकर 6 लाख करोड़ रुपए कर दिया। अभी तक यह सीमा कितनी थी? – रु. 30,000 करोड़
विस्तार: 9 नवम्बर 2016 से 1000 व 500 के पुराने नोटों के विमुद्रीकरण का फैसला प्रभाव में आ जाने के बाद से देश के बैंकों की नगदी प्राप्तियों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इसके चलते बैंकिंग प्रणाली की तरलता में वृद्धि हुई है जो अगले कुछ समय तक जारी रहेगी।
 इसके चलते RBI ने बाजार स्थिरीकरण योजना (Market Stabilization Scheme – MSS) के तहत जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों की ऊपरी सीमा को वर्तमान रु. 30,000 करोड़ से बढ़ाकर 6 लाख करोड़ रुपए (Rs. 6 trillion) कर दिया।
 उल्लेखनीय है कि बाजार स्थिरीकरण योजना के तहत जारी की जाने वाली प्रतिभूतियों को वर्ष 2005 में RBI के तत्कालीन गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के कार्यकाल में शुरू किया गया था। इन प्रतिभूतियों के द्वारा RBI विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने के दौरान तरलता सम्बंधित परिचालन का प्रबन्धन करता है।
 जब RBI डॉलर की खरीद करता है तो वह बाजार में रुपए की तरलता को जारी करता है। इस तरलता को MSS बाण्ड्स की बिक्री द्वारा व्यवस्थित किया जाता है।
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